Friday 29 July 2016

हायकू श्रृंखला .."किताबें और ज्ञान"

सुप्रभात मित्रों

आपका आज का दिन और आनेवाले सभी दिन शुभ हों

आज कुछ किताबों और ज्ञान पर...कहते हैं किताबें ज्ञान का भंडार होती है ...पर ज्ञान यूँ ही नहीं मिल जाता ..किताबों को मेहनत से पढ़ना और समझना.. होता है तभी ज्ञान आपके पास सदा सर्वदा के लिये आता है..कुछ लोग केवल रटते है ...परीक्षा के लिए ..ऐसी पढाई किसी काम की नहीं ....रटा हुवा उड़ जाता है..खैर इस विषय पर चर्चा फिर कभी..

आज चंद हायकू इन्हीं "किताबें " और " ज्ञान " पर

किताबें  और  ज्ञान
**************

1)   ज्ञान      भंडार
       हैं        किताबें   मग़र
       पढ़ के     मिले

2)   आदर        करो
        जम    कर पढ़ो  ये
        प्यारी    किताबें

3)     ज्ञान    उजाला
         फैलायें   ये   किताबें
         पढ़ो   ध्यान से

4)      रटना      छोड़ो
          पढ़ो       समझकर
           रहेगा      याद

5)       किताबें     गुरु
           सदा      सर्वदा साथ
           करो     आदर

6)      करेंगे         प्रेम
          किताबों से    बढ़ेगा
          ज्ञान     आपका

(समाप्त)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

हायकू श्रृंखला.." दोस्ती- दुश्मनी"

सुप्रभात मित्रों

आज चंद हायकू मानव स्वाभाव के दो महत्वपूर्ण गुणों "दोस्ती" और "दुश्मनी" के नाम ..क्योंकि आप सभी इनसे भलीभाँति
परिचित है..अतः  सीधे हायकू..

" दोस्ती - दुश्मनी "
***************

1)  दोस्ती      दुश्मनी
      मानव      मन   में   ही
      छुपी       रहती

2)  दोस्ती      तो  होती
      अमानत   दोस्त      की
      दोस्त        के  लिये

3)  दोस्ती    तो   ख़ुदा
       का  नूऱ है   दिल    में
       रहती          पाक़

4)  दुश्मनी      होती
      शैतानी      साया  जीती
      अंतर्मन      में

5)   ख़ुदा        दुश्मनी
       से     बचाना    मुझको
       सिखाना    दोस्ती

6)   बुद्धि         प्रयोग
       करो     बढाओ दोस्ती
        मिटे        दुश्मनी

(समाप्त)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

(समाप्त)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

हायकू श्रखला ..." सच " - " झूँठ "

सुप्रभात मित्रों

आपका आजका और आनेवाले सभी दिन शुभ हों

आज  चंद   हायकू हमारी जिंदगी के दो सच " सच "  और " झूँठ " पर..दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं..पर सीरत यानि गुणों में एक दुसरे से विपरीत..इन दोनों से हमारी आम जिंदगी में अक्सर पाला पड़ता ही है अतः आप इन्हें अच्छे से जानते ही हैं..

पेश हैं हायकू

" सच " - "झूँठ"
************

सच   औ  झूँठ
पहलू   हैं   सिक्के के
गुण         अलग

सच    है   अच्छा
झूँठ    है      नापसंद
लोग         कहते

लाख     धिक्कारें
कभी     न  कभी    झूँठ
बोलते        सभी

सच       अक्सर
छुप       जाता   झूँठ की
चादर     काली

झूँठ      जीतते
सच      हारते    देखा
हम       सबने

सच   को    देखा
सीना   ताने    तो    झूँठ
मुँह         छिपाये

(समाप्त)

हायकू श्रृंखला ..4

प्यार     में    हार
न        हुई     जो  बर्दाश्त
फाँसी      लटका

पागल            मन
भटका      भर     दिन
साथी     न   मिला

गुलाब          एक
भँवरे      हैं      अनेक
प्यार         जताते

कली        गुलाब
सुन्दर           बेहिसाब
भाग्य   से    मिले

चाँद           पूनम
परछाहीं        नदी    में
ले         हिचकोले

रक़ीब          मेरा
जलता     है    मुझसे
हो   के     निराश

धनुष    तीर
शिकारी का संधान
मरा    हिरन

जीवन      चक्र
है           धूमता    रहता
उम्र   हो   खत्म

धरा      आकाश
बीच     में    हम  सब
जीवन        जीते

डाकू       लुटेरे
सब         जगह    छुपे
माल     बचाओ

देखो        इधर
तुम्हारा     ध्यान   कहाँ
मैं  हूँ  न    यहाँ

(समाप्त)

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नमस्कार मित्रों
रियो ओलंपिक समाप्त हो जायेगा आज ..इस बार बहुत ताम झाम ..वादों ..दावों ...और इरादों से सबसे बड़ा दल रियो ओलंपिक में भेजा गया था
...पर कहते हैं "ढाक के तीन पात" वही निराशा और मायूसी ही हाँथ लगी..और जो एक कांस्य और एक रजत अब तक मिला उसमे व्यक्तिगत सफलता का  भाग ज्यादा है..पॉलिटिक्स इतनी ..कि जीतने वाले खिलाडी.... सुशील कुमार बाहर...
औरजो नरसिंह यादव चुने गए वे भी साजिश का शिकार हो बाहर...

  ऐसे में रियो ओलंपिक में एक और निराशाजनक प्रदर्शन के साथ भारतीय दल खाली हाथ वापस...

इसी निराशा और दुःख को व्यक्त करते हैं..आज के हायकू..

रियो ओलंपिक
*************

1)हाथ   निराशा
      माहौल  मायूसी का
   भारतीयों   में

2) जीती   साजिश
         हारीं सब आशाएँ
     झोली है ख़ाली

3) खेल मंत्री है
          खेल मंत्रालय भी
     बड़ा  बजट

4) सवा सौ कोटि
           भारतीय जनता
     होते है    कम

5)  एक    मैडल
           को तरसता देश
       है  शर्मनाक

6) हम   जीतने
         नहीं प्रयास से ही
     रहते    खुश

7) गाल  बजाते
           मौज मनाने जाते
     हमारे    दल

(समाप्त)

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आज 28 अगस्त के हायकू..."मेरी बेटियाँ "...पर

मेरी बेटियाँ
*********

1)   तीनों       बेटियाँ
         उच्च शिक्षित  सब
       हैं     मेरी    शान

2)   इंजीनियर
         डॉक्टर आर्किटेक्ट
       हैं  मेरी   जान

3)   पाला  प्यार    से
          अच्छी    परवरिश
      ऊँचा    है   नाम

4)   गर्वित      सीना
        किया  बेटियों  ने ही
       हैं  प्यारी  मुझे

5)   कौन      कहता
        बेटी   किसी  से कम
       बोलता     झूँठ

6)   शान     बढ़ाई
        खेल  जीता   किसने
       रजत     कांस

7)  तिरंगा     ऊँचा
         देश     मेरा   गर्वित
       न्यारी     बेटियाँ

8)   कुछ   न    माँगे
       चाहें  प्यार   सम्मान
      प्यारी     बेटियाँ

9)   दुर्गा    का  पाठ
         बेटियों  को दुत्कार
       कैसी  ये   पूजा

10)  नारी     की   शक्ति
         कमतर   न   आँको
       ये      काली   दुर्गा

(समाप्त)

Tuesday 26 July 2016

हायकू श्रृंखला -3

सुप्रभात   मित्रों  ..आज कुछ हायकू विभन्न विषयों पर... ?

बैठ         मुँडेर
करता      काँव  काँव
आते        साजन

जाल            बिछाया
कबूतरों        के    लिये
फँसे             बटेर

तेरी          कसम
झूँठ          नहीं   बोलूँगा
कभी    न  बोला

तुमसे         हसीं
न     कोई   मिला मुझे
करो           यकीन

उधार          कैंची
प्रेम  की      भाई   ठीक
सौ     रूपये   दो

हँस   चला   जो
कौव्वे  की चाल    भाई
भूला      अपनी

गम       न  करो
जो     कोई    न   समझे
बातें     आपकी

आत्मविश्वास
से         भरपूर    जियो
विश्व     विजय

अपनी     अक्ल
बने         अपना   बल
निश्चित      जीत

छोटे     द्वन्द   से
होती           नहीं    निश्चित
हार      या  जीत

निराशा       नहीं
युद्ध           करो    अर्जुन
कहते       कृष्ण

(समाप्त)

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नमस्कार मित्रों

आज के हायकू "प्रदूषण" पर ...जो सब जगह व्याप्त है और किसी परिचय का मोहताज नहीं है..

सब जानते हैं ये खतरनाक और जानलेवा है पर हमारी लापरवाही और अज्ञान ने इसे असाध्य रोग बना दिया है...और हम ही इस स्थिति को सुधार भी सकते हैं...

प्रदूषण
******

1) ग्रस्त    सभी
         जल थल आकाश
      प्रदूषण    से

2) आदमी जिन्दा
         और है परेशान
      प्रदूषण    से

3) करता   स्वयं
        आरोप औरों  पर
      प्रदूषण  का

4)   प्रदूषण   से
         बचना  चाहें   आप
       पहल  स्वयं

5) मनुष्य  स्वयं
       चुनता  रास्ते  ऐसे
     हो   प्रदूषण

6) जानलेवा      है
        बचें  प्रदूषण   से 
     अच्छी  आदत

(समाप्त)

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नमस्कार मित्रों

आज चंद हायकू "बीमार बच्ची "...एक ऐसी परिस्थिति जिससे व्यक्तिगत तौर पर मैं और मेरे नज़दीकी लोग गुज़र रहें हैं..

बीमार बच्ची
***********

1)  बीमार     बच्ची
           वेंटीलेटर  पर
      अर्ज    ख़ुदा से

2)  बख्शें      सेहत
         नादाँ है प्यारी बच्ची
      उम्र     है   कम

3)  बहते        आँसू
          माँ  बाप परिजन
      आस   ख़ुदा  से

4)  हो   जाये   कृपा
         आपकी भगवन
      दूर       निराशा

5) मेरी     है    चिंता
         बाबा हूँ मैं उसका
     बीमार       बच्ची..

(समाप्त)

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नमस्कार मित्रों.
प्रसन्नता की बात है कि नवीनतम  अप्डेट्स के अनुसार उसकी तबियत में तेज़ी से सुधार हो रहा है और ..यह आप सब मित्रों की दुवावों और प्रार्थना का असर है..कृपया इसे जारी रक्खें ..हार्दिक आभारी हूँ इस कठिन समय पर साथ के लिये...

1)मित्र   हैं  सच्चे
      कठिन  समय पे
    काम जो आये

2) अभिभूत    हूँ
        इंसानियत देख
     मित्रगणों   की

3) मित्र     कसौटी
         आपदा   के  समय
     रहते        साथ

(समाप्त)

Monday 25 July 2016

ग़ज़ल :मेरे यार ...


गुज़रा वक्त  नहीं हूँ जो लौट के न  आउँगा

मै तो तेरा नसीब हूँ तेरे  साथ साथ जाऊँगा

तू दिल से मुझे चाहे या   न चाहे मेरे दोस्त

तेरे   दिमाग में बस मै   हि    मैं   छाऊंगा

तू   सोंचता है  कि  पीछा छुड़ा  लेगा अपना

दूसरी   दुनिया तक  तेरे साथ साथ आउँगा


मंज़र बहुत दुनिया में    देखें हैं हमने साथ

और  भी तमाम अभी तुझको दिखलाऊंगा


(समाप्त )

ग़ज़ल : तुम


ग़ज़ल :  तुम   




 

यूँ      दूर   खड़ी   रहके  मुस्कराया    न  करो

कभी    तो   पास आके प्यार जताया भी करो
दूर   दूर  वाली  ये  कैसी  मोहब्बत  है     तेरी
सिर्फ   अपनी    नहीं  जरूरत    समझो   मेरी
कैसे   मैं   इंतज़ार करता रहूँ   और  कब तक
मैं    अरमानों  और ख्वाबों को रोकूँ कब तक
करती   हो   मुझसे प्यार   ये  बात मानता हूँ
गुज़र    जाओगी  तुम   किसी   भी   हद    से 
मेरे    लिए............    ये     भी   जानता     हूँ
इंतज़ार    अब  होता  नहीं  दिल न पाता चैन
कब  तुम मुझसे आ मिलो मिले नैन से  नैन
मेरे   जज़्बातों   को ............  समझने    की
ज़रा   दिल    से      भी     कोशिश     करना
जिस तरह भी हो सके आके मुझसे  मिलना


तुम्हारा..अपना

(समाप्त}












Friday 22 July 2016

हायकू श्रृंखला .."बेईमानी " - "ईमानदारी "

सुप्रभात मित्रों

आज चंद हायकू मनुष्य के दो विशेष गुणों "बेईमानी"और "ईमानदारी" पर..ये हम सब में  कमोबेश होते ही है..कई बार हम अनजाने में भी बेईमानी करते है तो कई बार जानबूझ कर...विस्तार से फिर कभी ..

अभी ..हायकू..

बेईमानी - ईमानदारी
****************

बेईमानी    से
ईमानदारी   अच्छी
मानो   इसको

ईमानदारी
देती    दिल की ख़ुशी
जानो    इसको

ईमानदार
सीना    फुला  चलता
मिला     नज़रें

बेईमान      न
पाता     चैन  के पल
रहता      डरा

कोई      पकड़े
या     न भी    पकड़े
कोसे      आत्मा

ईमानदार
बनों      बचो   दुर्गुण
बेईमानी   से

(समाप्त)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

हायकू श्रृंखला "तिरंगा "

देश सर्वप्रथम है..इसकी अस्मिता..इसका झंडा  "तिरंगा " ..   हमारे आत्मसम्मान और गौरव के ही प्रतीक हैं...इसी  राष्ट्रीय झंडे "तिरंगे " के सम्मान में  चंद हायकू...

"तिरंगा"
*******

कटे      ये   सर
तिरंगे   की शान   में
हूँगा       गर्वित

लहराये          ये
सीना     तान सलामी
दें     हम    सभी

झंडा     नहीं     ये
हमारी   आन     बान
देश            महान

करिये        प्रण
जिम्मेदारी  लेते   है
रक्षा         करेंगे

तिरंगा          प्यारा
सुन्दर    और   न्यारा
छूता         आकाश

(समाप्त)


हायकू श्रृंखला " छमा - क्रोध"

सुप्रभात मित्रों

आज मनुष्य के दो मुख्य गुणों "छमा" और "क्रोध" पर ..दोनों के अपने गुण दोष हैं और वे हम सबमें हैं..

चंद  हायकू  इन्हीं पर..

"छमा -क्रोध"
***********

छमा     गुण  है
सबल     सक्षम   का
मूर्ख  का  क्रोध

छमा    होती  है
बलवान    क्रोध    से
हो   सुख शांति

संभालो    क्रोध
करेगा      ये    विनाश
इस     जग    में

जिसने     क्रोध
किया      न  नियंत्रित
जिंदगी     हारा

छमा   में   शांति
क्रोध   में  है   अशांति
मर्जी     आपकी

क्रोध    है   एक
अवगुण     मन    का
जान     लें  हम

(समाप्त)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

हायकू श्रृंखला "अख़बार"

दिनेश       भाई
क्या          ढूंढते आप
अख़बार     में

चोरी       डकैती
रेप          की   ही खबरे
बिकें       बाजार  में

सारे           पेपर
भरे     पड़े  नेताओं
की            ख़बरों  से

मैंने       तो  छोड़ा
पढ़ना    अख़बार
बचा       समय

दिनेश रस्तोगी भाई को सादर  समर्पित

हायकू श्रृंखला "सावन"

सुप्रभात मित्रों

  सावन की कल्पना करते ही...वर्षा की
रिमझिम...बिजली कड़कना..झूले..मायका...पिया  की याद आदि याद आते है..इन्हीं के साथ..

सावन
*****

वर्षा      का   शोर
हरियाली      का    जोर
आया          सावन

आयी           मायके
याद    पिया  की    आये
बैरी              सावन

पानी           बरसे
बिजुरी        चमके    औ
जी             घबराये 

झूला     मैं     झूलूँ    
सखियों     सँग       याद
पिया     की   आये

दूर        देस    हैं
पिया         हमारे   कोई
उन्हें         बुलाये

कैसा        सावन
कैसी    वर्षा मुझे   तो
कुछ     न    भाये

....      .....    ....

पिया अब तक न आये..

....      .....    .....

(समाप्त)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

हायकू श्रृंखला "सावन"

सुप्रभात मित्रों

  सावन की कल्पना करते ही...वर्षा की
रिमझिम...बिजली कड़कना..झूले..मायका...पिया  की याद आदि याद आते है..इन्हीं के साथ..

सावन
*****

वर्षा      का   शोर
हरियाली      का    जोर
आया          सावन

आयी           मायके
याद    पिया  की    आये
बैरी              सावन

पानी           बरसे
बिजुरी        चमके    औ
जी             घबराये 

झूला     मैं     झूलूँ    
सखियों     सँग       याद
पिया     की   आये

दूर        देस    हैं
पिया         हमारे   कोई
उन्हें         बुलाये

कैसा        सावन
कैसी    वर्षा मुझे   तो
कुछ     न    भाये

....      .....    ....

पिया अब तक न आये..

....      .....    .....

(समाप्त)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

हायकू श्रृंखला "धरती माँ "

सुप्रभात मित्रों

आज प्रस्तुत करता हूँ चंद हायकू " धरती माँ " पर जो हम सबकी माँ हैं  और आकाश पिता के साथ मिलकर हमें जीवन देती हैं और हमारा भरण पोषण करती हैं और मरने के बाद हमें   अपने   में    मिलाकर शरण देती है....

ऐसी अपनी " धरती माँ "से हम कभी उऋण नहीं हो सकते..उन्हें नमन कर प्रस्तुत हैं  "

हायकू ...."धरती माँ

धरती माँ
********

धरती   है   माँ
तो     आकाश   पिता है
हम      संतान

धरती       देती
खाना      पीना   रहना
रक्षा    आकाश

धरती        सहे
सारा        भार   हमारा
करती      प्यार

ये      धरती  है
हमारी         मातृभूमि
गर्व       हमारा

धरती       मिल
आकाश   पिता   संग
पालती       हमें

नही       उऋण
हो    सकते    हैं   हम
माँ    हमारी   ये

(समाप्त)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

Tuesday 19 July 2016

हायकू श्रृंखला " नींद "

नींद
****

नींद आँखों में
और सपने मीठे
चलो सो जाएँ

नींद न   आये
चिंता बड़ी सताये
कल की फ़िक्र

नींद   नेमत
है बक्शी ख़ुदा ने
ज़ाया न कर

नींद आई तो
घर जाके आराम
कर   न भाई

सुख की नींद
जिन्हें मयस्सर हैं
खुशकिस्मत

अच्छी हो नींद
जिंदगी खुश होती
चैन   तमाम

नींद अच्छी  हो
मानसिक शांति हो
यही      चाहिये

(समाप्त)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

हायकू श्रृंखला "मेरा देश "


मेरा देश
*******

हे   भगवान
देश बने महान
दो   वरदान

सभी हों खुश
फलें फूलें निरोगी
हों   देशवासी

भूँख    गरीबी
का हो पूरा ख़ात्मा
करो     जतन

लोभ   घृणा का
हो  जाये      तुरन्त
मनों    से   अंत

तेरा मेरा    हो
न    सब सोंचें सिर्फ
देश     हित ही

भगवान    जी
बदलो     सोंच सब
जन    जन की

वो       यह  सोंचे
अकेला      बनूँ   धनी
क्या     ठीक होगा

वे    जो सोंचतें
हैं    अपनी   अपनी
देश  की   सोंचें

जाति पाति औ
घृणा द्वेष का भी हो
अंत        तुरंत

सब    सोंचे कि
देश  हित में   जीना
है       सर्वोत्तम

हे       भगवान
मेरे   देश   पर हो
आपकी  कृपा

माँगता     यही
मैं     अकिंचन भक्त
स्वामी     आपका

(समाप्त)
अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

हायकू श्रृंखला "नीड़ "

नीड़
****

नन्ही गौरैया
बना अपना नीड़
बैठी   उसमें

मेहनत  से
जोड़े तिनके सब
सुन्दर नीड़

प्यारे अंडे  ये
छोटे छोटे प्यारे से
दिखें नीड़ में

बीता  समय
प्यारे प्यारे बच्चों से
चहका नीड़

नन्ही नन्ही सी
चोंच उठाये  बच्चे
आस खाने की

गौरैया आयी
खाना लायी चोंच में
बच्चे हैं खुश

एक एक को
एक बार खिलाती
गौरैया आती

इस नीड़ से
गुलज़ार घर है
प्रसन्न हूँ मैं

आप भी करें
स्वागत  इनका हो
घर    आबाद

(समाप्त)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

हायकू श्रृंखला "नीयत "

कहते हैं .."जैसी नीयत वैसी बरक्कत .." यानि यदि हमारी नीयत साफ़ है और हम लोगों के लिये अच्छा सोंचते और करते हैं ..तो भगवान हमें बरक्कत यानि सुख शांति देता है...

आज इसी " नीयत" पर चंद हायकू..
पेश हैं...

नीयत
*****

जैसी नीयत
वैसी ही बरक्कत
कहते  लोग

नीयत खोंटी
उसे कोई न माफ़ी
दे   भगवान

नीयत साफ़
उसका स्वागत है
हर      तरफ

नीयत अतः
अपनी साफ रखो
भला सबका

(समाप्त)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

हायकू श्रृंखला " दोस्ती "

दोस्ती का ज़ज़्बा किसी इबादत से कम नहीं होता ...इसमें दोस्त के लिए सब कुछ करने और हद से भी गुज़र जाने की चाहत होती है..और वोह सचमुच खुशकिस्मत होता है ...जिसे कम से कम एक सच्चा दोस्त मिल जाता है  ... दोस्ती के इसी ज़ज़्बे को सलाम करते हुये मैं प्रस्तुत करता हूँ मेरी ताज़ी रचना "दोस्ती"....

दोस्ती
******

दोस्ती है   नाम
इबादत का   एक
दोस्त के लिये

दोस्त   होते हैं
कुर्बान एक दूजे
के ही ख़ातिर

दोस्ती है एक
ज़ज़्बा  चाहत  प्यार
की गहराई

दोस्त    मगर
बड़ी किस्मत से ही
मिलता  कभी

हर शख़्श से
उम्मीदे दोस्ती मत
आप करिये

हो सकता है
वोह आपकी दोस्ती
लायक न हो

दोस्त अगर
सच्चा एक भी तुम्हें
जाता है मिल

अपने आप
को खुशकिस्मत औ
न्यारा  समझो

(समाप्त)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

हायकू श्रृंखला " गुड नाईट "

गुड नाईट
********

रात्रि पहर
बाहर बारिश की
रिमझिम है

मौसम उम्दा
रात हुयी रंगीन
चलो सोते हैं

नींद से भरी
अँखियाँ बोझिल हैं
गुड नाईट

गुड नाईट..मित्रों..

(समाप्त)
अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

हायकू श्रृंखला " पूजा "

आज कुछ पूजा पर ..इसे ही इबादत भी कहते हैं और प्रेयर भी..ये सारे जतन "भगवान की नज़दीकी पाने और उसे मनाने के ही हैं.".व्यक्तिगत तौर से मैं मानता हूँ कि..." उपरवाला "   है..और वोह परम शक्तिशाली..व ऊर्जावान है और हम सब उसकी ही संतान हैं..हम उसे अलग अलग रूप में जानते और मानते हैं..हमारी पूजा पद्धतियाँ बेशक अलग हों ..पर सारे रास्ते और पध्दतियों की मंज़िल अन्ततः एक ही है.....

उसकी संतान हम सब आपस में भाई भाई या भाई बहन है..

धर्म भी एक ही है .."मानव धर्म "और किसी अन्य धर्म के नाम पर आपस में लड़ना महज़ मूर्खता ही है..स्वार्थी और चालक लोग अपनी सत्ता कायम रखने  के लिए.." बांटो और राज करो "के आदिम सिद्धांत पर चलकर हमें लड़ाते है..कभी धर्म के नाम पर.. कभी भाषा के नाम पर ...कभी झूंठी राष्ट्रीयता के नाम पर.. और हम लड़ते भी हैं ..

जितनी जल्दी हम इस सच्चाई को समझ ..आपस में लड़ना छोड़... प्यार से रहना शुरू करें आदमीयत या इंसानियत या ह्यूमन बीइंग की जीत होगी..और दुनिया में सुख शान्ति की स्थापना होगी..

आज पेश है चंद लाइनें मेरी नयी रचना "पूजा" में..विधा है हायकू श्रृंखला..

पूजा
****

हे भगवान
देना भक्ति औ शक्ति
शरण  तेरे

करू मैं पूजा
आपकी औ आदमी
की आराधना

वोह आदमी
जो है आपकी श्रेष्ठ
कृति जग में

वोह आदमी
आज हुआ भ्रमित
दुष्प्रचार  से

लड़ते हुए
आपस में ही स्वयं
नष्ट है होता

न सुख शांति
है और न ही बची
उसकी बुद्धि

वोह   स्वार्थी
लोगों द्वारा भ्रमित
किया गया है

वोह हैरान
और है परेशान
प्रभु हो कृपा

मेरी वाणी को
देना शक्ति औ भक्ति
प्रभु आपकी

कुछ हो अच्छा
मेरे द्वारा इंसानो
की हो भलाई

माँगता भक्त
ये कर   जोड़े मेरे
पिता प्रभु जी

तुम्हारी भक्ति
में हो जाऊँ लीन मैं
इस धरा में

तुम्हारे  ज्ञान
और सन्देश का ही
करूँ   प्रचार

प्रेम औ भक्ति
बने  सम्बल  मेरे
पुत्र  आपका

आपके हुक्म
का पालन होगा ओ
ईश्वर      मेरे

(समाप्त)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

हायकू श्रृंखला " शुभ रात्रि "

शुभ रात्रि
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रात्रि   पहर
ख़ामोशी की चादर
है सब ओर

शांत निस्तब्ध
विश्राम में जिंदगी
सब हैं  सोये

आपकी रात
अच्छी कट जाये ये
करें कामना

हम भी सोते
शुभरात्रि मित्रों से
बोलते   हम

शुभ रात्रि...

(समाप्त)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

हायकू श्रृंखला " मेंह से नेह "

मेंह से नेंह
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मेंह से भीगे
तन और नेंह से
तन औ मन

नेंह करेगा
वोह राज करेगा
तन मन पे

बारिश आई
सुहाना मौसम है
आइये  मिलें

रूठना और
मनाने के बहाने
करिये प्रीत

अच्छा लगे
तो इकरार करें
प्यार  करें

अच्छे लगे
ये हायकू तो भाई
सम्मान करें

(समाप्त)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

चंद हायकू ..


कुछ हायकू
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देखे चकोर
आसमान में चाँद
रात अँधेरी

जीवन मूल्य
बहुमूल्य हैं भाई
लुटाओ मत

तेरा न मेरा
ये शाम या सबेरा
कुदरत का

थक जायेगा
रात भर चल के
राह  है लंबी

ख़ुशी या गम
बेफिक्र हुये हम
वो है न ख़ुदा

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव