Friday 19 February 2016

कविता :तुम मतलबी



तुम   कहते     हो   कि       मुझे    प्यार    करते  हो
तुम   कहते   हो    कि        मुझ     पर      मरते  हो
पर     मै     अच्छी     तरह      जानती    हूँ        कि
तुम .. न   तो   मरते  हो    न     ही    प्यार करते हो
मैंने तुम्हारी आँखों में    प्यार   नहीं   भूँख     देखी है
मेरी काँचन काया के लिए एक अजीब  प्यास  देखी  है
कि   कैसे    तुम    मुझे   पाओ  और मेरा   भोग करो
ये    सारे  तुम्हारे    जुगाड़ और युक्ति  मैंने   देखी है
और ये  ही    तुम्हारी भूँख     मैंने      मेरी    सहेलियों
मीना… सीमा  और पल्लवी   के   लिए    भी    देखी है
तुम्हे ललचाते   देखा  है मैंने कामवाली बाई  कमला पर
जो अधेड़ उम्र की  होने   पर  भी  आकर्षक    दिखती है
और पडोसी की  बच्ची  तेरह    साल की  कोमल पर भी
मैं कैसे यकीं कर लूं कि तुम केवल मुझसे प्यार करते हो
और      मेरी   काया से  नहीं    मुझ से सच्चा प्यार करते हो
तुम     मेरा सच्चा प्यार पाके   हरजाई   तो नहीं बन जाओगे
एक   भँवरे की   तरह मेरा   रस चूस   उड़   तो  नहीं जाओगे
पर    पर  मैंने     तो   तुमसे   सच्चा   प्यार    ही    किया है
अपना    प्यार भरा   दिल   पहिली बार  सिर्फ तुम को दिया है
बढ़ा      दिया   है    मैंने   अपने   पाँव   प्यार  की    राहों  में
उम्मीद    है   कि    तुम  सम्भालोगे मुझको   अपनी  बाँहों में
अपने       दिल    में    मेरे   प्यार भरे दिल   को आसरा  दोगे
मुझे      नहीं    करोगे   कभी   निराश और    खूब  प्यार  दोगे
तुम्हारा      तो    मुझे   पता    नहीं  पर    कसम भगवान की
मै     तुम्हे    अपने   पूरे     दिलोजान    से    प्यार   करती हूँ
और    अपनी आत्मा   की तमाम गहराइयों से तुमपर मरती हूँ
इसलिए तमाम खतरों और अंदेशों के बाद भी तुम्हे आजमाऊगी
अपने   भरपूर    प्यार के     भरोसे ही केवल तुमको अपनाऊंगी
आगे        जो   भी  होगा  भाग्य    में     मेरे     देखा   जायेगा .
तू     बना    रहे  मेरा  प्यारा सनम  या   हरजाई   देखा जायेगा
मुझे    भरोसा    है  कि  मैं    अपने प्यार   भरे दिल की बदौलत
तुझको     अपना      प्यारा    बालम        ही     बना     डालूंगी
और   तेरी     आँखों   की   भूँख और   प्यास   सब  मिटा डालूंगी
कि   तू   सिर्फ   मेरा   बन के    रहे इधर उधर ताक झांक बंद करे
और    मेरे   ह्रदय  कँवल   में   बस   सारी    दुनिया से तौबा करे
समझे      मेरे    कातिल … मेरे   छलिया … मेरे   बालम रसिया
तू     मतलबी   तो    है  पर   बहुत प्यार लगे है हमें क्या करूँ जी



मैं  हूँ आपकी …..


(समाप्त)