कविता का परिचय
यह कविता हायकू की विधा में है.. इसमें एक लाइन में पाँच …
दूसरी लाइन में सात अक्षर ..और इसी प्रकार पाँच और सात..
अक्षर के क्रम में कविता चलती रहती है ..
प्रस्तुत कविता बचपन की यादों पर आधारित है जब पानी
बरसने पर हम कागज़ की नाँव बनाते ..तैराते और बहुत खुश
होते थे…..
कविता : बचपन और कागज़ी नाँव
तैराते हम
बना कागजी नाँव
बरसे मेघ
रिमझिम जोर से
भरती नाली
उफनती वेग से
नावें हमारी
कुछ दूर चलतीं
फिर उलट
पलट कर डूब
जातीं जल में
हम देखें हो खुश
किसकी नाँव
डूबी किसकी तैरी
हार जीत का
फैसला था नाँव पे
जीत हार में
बिताया बचपन
कागजी नाँव
देती मज़ा जीत का
खुशियों भरी
या कड़ुई हार का
कोई बात थी
जो अब तक याद
कागज़ी नाँव
डूबती उतराती
तैरती यादें
(समाप्त)