आज कुछ पूजा पर ..इसे ही इबादत भी कहते हैं और प्रेयर भी..ये सारे जतन "भगवान की नज़दीकी पाने और उसे मनाने के ही हैं.".व्यक्तिगत तौर से मैं मानता हूँ कि..." उपरवाला " है..और वोह परम शक्तिशाली..व ऊर्जावान है और हम सब उसकी ही संतान हैं..हम उसे अलग अलग रूप में जानते और मानते हैं..हमारी पूजा पद्धतियाँ बेशक अलग हों ..पर सारे रास्ते और पध्दतियों की मंज़िल अन्ततः एक ही है.....
उसकी संतान हम सब आपस में भाई भाई या भाई बहन है..
धर्म भी एक ही है .."मानव धर्म "और किसी अन्य धर्म के नाम पर आपस में लड़ना महज़ मूर्खता ही है..स्वार्थी और चालक लोग अपनी सत्ता कायम रखने के लिए.." बांटो और राज करो "के आदिम सिद्धांत पर चलकर हमें लड़ाते है..कभी धर्म के नाम पर.. कभी भाषा के नाम पर ...कभी झूंठी राष्ट्रीयता के नाम पर.. और हम लड़ते भी हैं ..
जितनी जल्दी हम इस सच्चाई को समझ ..आपस में लड़ना छोड़... प्यार से रहना शुरू करें आदमीयत या इंसानियत या ह्यूमन बीइंग की जीत होगी..और दुनिया में सुख शान्ति की स्थापना होगी..
आज पेश है चंद लाइनें मेरी नयी रचना "पूजा" में..विधा है हायकू श्रृंखला..
पूजा
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हे भगवान
देना भक्ति औ शक्ति
शरण तेरे
करू मैं पूजा
आपकी औ आदमी
की आराधना
वोह आदमी
जो है आपकी श्रेष्ठ
कृति जग में
वोह आदमी
आज हुआ भ्रमित
दुष्प्रचार से
लड़ते हुए
आपस में ही स्वयं
नष्ट है होता
न सुख शांति
है और न ही बची
उसकी बुद्धि
वोह स्वार्थी
लोगों द्वारा भ्रमित
किया गया है
वोह हैरान
और है परेशान
प्रभु हो कृपा
मेरी वाणी को
देना शक्ति औ भक्ति
प्रभु आपकी
कुछ हो अच्छा
मेरे द्वारा इंसानो
की हो भलाई
माँगता भक्त
ये कर जोड़े मेरे
पिता प्रभु जी
तुम्हारी भक्ति
में हो जाऊँ लीन मैं
इस धरा में
तुम्हारे ज्ञान
और सन्देश का ही
करूँ प्रचार
प्रेम औ भक्ति
बने सम्बल मेरे
पुत्र आपका
आपके हुक्म
का पालन होगा ओ
ईश्वर मेरे
(समाप्त)
अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव
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