Monday 18 July 2016

हायकू श्रृंखला " कली- फूल"

सुप्रभात मित्रों

     आज      चंद      हायकू" कली"और "फूल" पर ...इनका जीवन बहुत छोटा होता है ....फिर भी उसकी फ़िक्र किये बिना ..वे हमारे जीवन में खुशियां बाँटते  है .....और दुनियाँ रंगबिरंगी बनाते है......ये दोस्ती या प्यार का पैगाम भी फैलाते है..और बहुत कुछ   भी  ये करते है..तितलियाँ और भौंरे इन्हीं पर मंडराते है और अपना प्यार इन पर जताते हैं..पर हम मूर्ख इंसान इन्हें नोंच डालते हैं और मसल के फेंक देते हैं..
 
इस पर अलग से कभी लिखूंगा ..अभी हायकू..

कली -फूल
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कली खिली है
बनेगी फूल   फिर
मुर्झा   जायेगी

सुन्दर    कली
बन   फूल  बिखेरे
जीवन      रंग

कली     जीवन
है एक दम   छोटा
बाँटे    खुशियाँ

छोटा    जीवन
उपकारी    जीवन
सीख   सबको

खिलती    कली
मँडराते        भँवरे
अमर           प्रेम

फूल  कली  से
प्यार   करो भाइयों
करो     न    नष्ट

(समाप्त)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

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