Monday 18 July 2016

हायकू श्रृंखला " ओ मेरे ख़ुदा "

ऊपर ख़ुदा की मौजूदगी के एहसास के बावजूद  भी आदमी अपनी चालाकियों और गलत  हरकतों से  बाज़ नहीं आता और गल्ती पर गल्ती करता है...

"ओ मेरे ख़ुदा"
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ऊपर ख़ुदा
नीचे  उसका नूर
मरा ज़मीर

उसके बन्दे
होशियार हो गये
बिके ईमान

मुझे न पूँछ
ज़मीर में अपने
टटोल उसे

बिकता सब
खरीदने वाला हो
ये   है बाज़ार

हैं  होशियार
सब कोई मगर
वोह लापता

(समाप्त)

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