मेरा देश
*******
हे भगवान
देश बने महान
दो वरदान
सभी हों खुश
फलें फूलें निरोगी
हों देशवासी
भूँख गरीबी
का हो पूरा ख़ात्मा
करो जतन
लोभ घृणा का
हो जाये तुरन्त
मनों से अंत
तेरा मेरा हो
न सब सोंचें सिर्फ
देश हित ही
भगवान जी
बदलो सोंच सब
जन जन की
वो यह सोंचे
अकेला बनूँ धनी
क्या ठीक होगा
वे जो सोंचतें
हैं अपनी अपनी
देश की सोंचें
जाति पाति औ
घृणा द्वेष का भी हो
अंत तुरंत
सब सोंचे कि
देश हित में जीना
है सर्वोत्तम
हे भगवान
मेरे देश पर हो
आपकी कृपा
माँगता यही
मैं अकिंचन भक्त
स्वामी आपका
(समाप्त)
अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव
No comments:
Post a Comment