नीड़
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नन्ही गौरैया
बना अपना नीड़
बैठी उसमें
मेहनत से
जोड़े तिनके सब
सुन्दर नीड़
प्यारे अंडे ये
छोटे छोटे प्यारे से
दिखें नीड़ में
बीता समय
प्यारे प्यारे बच्चों से
चहका नीड़
नन्ही नन्ही सी
चोंच उठाये बच्चे
आस खाने की
गौरैया आयी
खाना लायी चोंच में
बच्चे हैं खुश
एक एक को
एक बार खिलाती
गौरैया आती
इस नीड़ से
गुलज़ार घर है
प्रसन्न हूँ मैं
आप भी करें
स्वागत इनका हो
घर आबाद
(समाप्त)
अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव
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