Tuesday 19 July 2016

हायकू श्रृंखला " दोस्ती "

दोस्ती का ज़ज़्बा किसी इबादत से कम नहीं होता ...इसमें दोस्त के लिए सब कुछ करने और हद से भी गुज़र जाने की चाहत होती है..और वोह सचमुच खुशकिस्मत होता है ...जिसे कम से कम एक सच्चा दोस्त मिल जाता है  ... दोस्ती के इसी ज़ज़्बे को सलाम करते हुये मैं प्रस्तुत करता हूँ मेरी ताज़ी रचना "दोस्ती"....

दोस्ती
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दोस्ती है   नाम
इबादत का   एक
दोस्त के लिये

दोस्त   होते हैं
कुर्बान एक दूजे
के ही ख़ातिर

दोस्ती है एक
ज़ज़्बा  चाहत  प्यार
की गहराई

दोस्त    मगर
बड़ी किस्मत से ही
मिलता  कभी

हर शख़्श से
उम्मीदे दोस्ती मत
आप करिये

हो सकता है
वोह आपकी दोस्ती
लायक न हो

दोस्त अगर
सच्चा एक भी तुम्हें
जाता है मिल

अपने आप
को खुशकिस्मत औ
न्यारा  समझो

(समाप्त)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

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