सुप्रभात मित्रों
सावन की कल्पना करते ही...वर्षा की
रिमझिम...बिजली कड़कना..झूले..मायका...पिया की याद आदि याद आते है..इन्हीं के साथ..
सावन
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वर्षा का शोर
हरियाली का जोर
आया सावन
आयी मायके
याद पिया की आये
बैरी सावन
पानी बरसे
बिजुरी चमके औ
जी घबराये
झूला मैं झूलूँ
सखियों सँग याद
पिया की आये
दूर देस हैं
पिया हमारे कोई
उन्हें बुलाये
कैसा सावन
कैसी वर्षा मुझे तो
कुछ न भाये
.... ..... ....
पिया अब तक न आये..
.... ..... .....
(समाप्त)
अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव
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