Monday 18 July 2016

हायकू श्रृंखला "दिल"

सुप्रभात मित्रों

आज "दिल "की बारी है
और उसी विषय पर...
लिखने की तैय्यारी है

"दिल"
*****

रिश्ते  नाज़ुक
संभल के निभाना
दिल आपका

लिया न दिया
जाये     हमसे  नादाँ
बेचारा    दिल

सब    आपके
हो जायेंगे   अग़र
मिलें  ये  दिल

फ़साने  दिल
आसाँ नहीं  सुनना
होता है   दर्द

मर्ज़े इश्क की
दवा बताओ यारों
लुटा  है   दिल

(समाप्त)

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

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