Tuesday 19 July 2016

चंद हायकू ..


कुछ हायकू
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देखे चकोर
आसमान में चाँद
रात अँधेरी

जीवन मूल्य
बहुमूल्य हैं भाई
लुटाओ मत

तेरा न मेरा
ये शाम या सबेरा
कुदरत का

थक जायेगा
रात भर चल के
राह  है लंबी

ख़ुशी या गम
बेफिक्र हुये हम
वो है न ख़ुदा

अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव

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