सुप्रभात मित्रों
आज "आँखों " पर...जो उपरवाले की हम सब को बेशकीमती सौगात है और हमें दुनियाँ दिखाती हैं...
कुछ हायकू...
" आँखें "
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दिखाती जग
बेशकीमती खूब
प्यारी हैं आँखें
झुकें तो वार
तिरछी तलवार
बेबाक़ आँखें
मुस्कराती हैं
तो कभी घूरती हैं
खूँखार आँखें
उठें गज़ब
झुकें तो बनती क्जां
तुम्हारी आँखें
न देखो हमें
प्यार भरी आँखों से
जायेंगे मर
(समाप्त)
अखिलेश चंद्र श्रीवास्तव
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